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Showing posts from August, 2018

सच्ची दोस्ती

आपकी मुस्कुराहट कितने ग़मों को दबाये है, आपकी आंखों में कितने सपने संजोये हुए हैं, सपनों के सागर में कस्ति बेहतहाश  है, फिर भी आपके चेहरे पे स्मित की आश है । आपकी ये ग़म ही आपकी ताकत है, आपको देख कर नही लगता है कि कितनी जज्बा है आप में, हो कितनी भी चुनौतियाँ क्यों नहीं, हो जाती हैं धराशायी आपके सामने। ये दुनिया मे मुसीबतों की कोई कमी नही है, मैंने तो जीने की चाह छोड़ दी थी, आपकी हौसला को देखा तो जीवन की रागिनी में एक धुन छिड़ी थी। मुझमे भी जीने की एक आश जगी है, क्योंकि... एक सच्ची दोस्ती भूतनी से हुई है।

तुम फिर कब मिलोगी?

हर पल साथ रहे तो भी कम लगे, हर आस बाट लू फिर भी प्यास रहे, पर आपको देख कर हम उलझ जाए, गहरी अनसुलझी बातोँ से हम डर जाए, और यही पूछने पर मजबूर हो जाये, कि तुम फिर कब मिलोगी? हर रास्ता घूम कर रुकु हर वक्त तुम्हे महसुस करू, खो जाऊ उसी मुस्कान के रास्तों पे बीते हर पल में अब यही सोच गुजरती है, कि तुम फिर कब मिलोगी? बेचैनियों दिल मे दबाये हुए,हर पल तुम्हें याद करु यादों के हर लम्हों में बस तेरी ही है आरजू हवाएँ के गुजरने पर हर पल तुम्हे अनुभव करु, रूह की हर एक अनुभव बस यही पूछती है, कि तुम फिर कब मिलोगी?