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Showing posts from October, 2018

नवरात्रि के सही मायने

लो भाई फेस्टिव सीज़न की शुरुआत हो गयी है।चाहे कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म का क्यों न हो  हर तबके के लोगो को इसका बेसब्री से इन्तेजार रहता है। बच्चे को नए नए कपड़े खरीद करने की खुशी तो बड़े को सरकारी छुट्टी और बोनस इस फेस्टिव को चार चांद लगाता है।इस फेस्टिव सीजन की शुरुआत तो नवरात्रि से ही हो जाती है,छट पूजा तक चलती रहती है। कभी कभी मन में ये सवाल भी आता है कि कोई भी व्यक्ति के जीवन मे उसके धर्म का क्या प्रभाव पड़ता है?इसपर मैं ज्यादा डिबेट तो नही करना चाहूंगा।पर इतना तो अवश्य है कि हम हिन्दू सनातन धर्म में जन्मे है इसका असर तो हमारे जीवन में अवश्य ही पड़ा है। बात करते है फेस्टिव सीजन के शुरुआत से,जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन हमें माँ के विभिन्न रूपों के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होता है।नौवे दिन नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है।जो इस नवरात्रि पूजा को और भी स्पेशल बनाता है। यह परंपरा हमे उस भारतीय पूर्व वैदिक सभ्यता का दर्शन करता है जिसमें घोसा, लोपामुद्रा,गार्गी ने अपनी पहचान दिलायी। मगर उत्तर वैदिक काल के बाद से  महिलाओं पर अत्याचार होने शुरू ह...

be my heart's mistress.

Without you I am incomplete word Just read me I am your love You are my love of ocean, Let come together and dive in. My soul always takes your name. My life was scattered, After meeting you it accumulated Oh! My dear ...Come be coupled.. Your negligence ignites my heart, Gives relief by seeing you in sight Wanted my day and night with you Running myself being just left to you. Come and warm of my body.. As the ruby rays of sun warm the territory scalds to give relief from coldness. Come and be my heart's mistress.