दिल की मशवरा

ख्वाबों का सफ़ीना,साहिल को ढूंढती है।
मेरी रूह का हर तिनका तुझे याद करती है।
रात की खामोशियों में ,धड़कता एक शोर है।
मेरी काया, बुलाती तुझे अपनी ओर है।

तेरी जिस्म का हर अंग,बनाये मुझे क्रेजी मलंग।
दिल में लगी है आग ,जी भर के करूँ मैं प्यार,
तेरी लबों में छीपी, मेरी रूहों के स्मित है,
इसे अपने लबों से मिला ले, ये मेरी भी जिद है।

यकीन है, ख़ुद से ज्यादा अपनी वफ़ा पर।
महसूस करूँ तुझे, साँसों की हर एक श्वास पर।
हर दुआ में माँगू तुझे, मगर ये कभी क़बूल नहीं होती,
ख़ुदा भी नाराज है मुझसे,क्योंकि ख़ुदा माना है तुझे ही ।

मिले जो तेरा साथ मुझे तो, भूल दू सारा जहां,
आपके कदमों में ला कर रख दु धरती आसमां,
तू आजा मेरे यारा, ये दिल हुआ है आवारा,
इसमें मेरी नहीं है मर्जी, ये दिल की है मशवरा।

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