उनकी यादों को पूरा करने वाली एक ख्वाब हो तुम,
टूटी हुई उम्मीदों का एक आस हो तुम।
उनके बिना जिंदगी तो जैसे बेगाना सा था,
मानो अब लगता है एक नई जीवन का एहसास हो तुम।

ये नई जीवन भी एक आंधी का इंतजार करती है।
जो कभी भी इसे अपने अघोष में इसे लेले।
मैने अपने हसरत बढा ली थी तुमसे मिलने के बाद
‌मैंने पूछा ही नही कि तेरी रजा क्या है।


सपने की मोती को मैं पिरोता गया
एक नई ख्वाब का माला बनाता गया
मगर धागे से पूछा ही नही
कि तेरी रजा क्या है?

जीवन का डगर मैं बनाने लगा
इसे नई यादों के साथ सजाने लगा
किसी के साथ को अपना बनाने लगा
मगर पूछा नहीं तेरी रजा क्या है?




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