दिल साला कमिना
मैं बेइंतेहा मोहब्बत करने लगा था
कोरे कोरे सपने बुनने लगा था।
गर्मी की दोपहर में उनकी बाते
दिल को ठंडक देती थी।
रात की चांदनी में उनकी
मीठी यादें सोने नही देती थी।
दिल मे एक नया एहसास आने लगी थी
हमे भी मीठा सा दर्द होने लगी थी।
प्यार का वो रूठना ओर मनाना
कितना हसीन वो पल लगता था।
उस पल में भी लगता था,
कभी इस पल को याद करेंगे
जिंदगी के गीत को एक साथ
मिलकर यू ही गुनगुनायेंगे।
वो दीया तो हम बाती बनकर
एक नई जीवन का प्रकाश लाएंगे।
मगर
ये दिल ही साला कमीना था
जो एक बेवफा को अपना माना था।
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